कोई अपना नहीं
कहने को तो सब अपना है,
कितना सुंदर यह सपना है,
मायका है ,ससुराल भी है,
फिर भी कोई अपना ठिकाना नहीं,
अपना बना कर कोई अपनाता नहीं,
अपना होकर भी कोई न अपना है,
कितना सुंदर यह सपना है,
कहने को तो सब अपना है।।
कहने को तो सब अपना है,
कितना सुंदर यह सपना है,
मायका है ,ससुराल भी है,
फिर भी कोई अपना ठिकाना नहीं,
अपना बना कर कोई अपनाता नहीं,
अपना होकर भी कोई न अपना है,
कितना सुंदर यह सपना है,
कहने को तो सब अपना है।।