//… कैसे हो भैया …//
//… कैसे हो भैया …//
क्या पुराना और
क्या नया है भैया…?
वैसे , ऐसे और
कैसे हो भैया…?
वही देते ,
वही बटोरतें…!
वही चोर हैं और
वही लुटेरे…!
कुछ हैं मेरे ,
कुछ हैं तेरे…!
अच्छे लोग ,
अच्छाई कर रहे…!
गरीबों की खाली ,
झोली भर रहे…!
पर एक तरफ ,
हैं लोग बुरे
शाम पाकिटमारी ,
यहां कांटामारी
है सुबह-सवेरे…!
क्या नया और
क्या पुराना है भैया…?
वैसे , ऐसे और
कैसे हो भैया…?
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छ. ग.)