कैसे हुआ मै तुझसे दूर
तेरी ही माया,
तेरी ही काया,
मालिक है तू,
तेरी ही छाया ।
कैसे हुआ मैं तुझसे दूर,
मन में बसा तू मेरे अंदर,
हर पल करता मेरा सहारा,
तू ही है मेरा तारणहारा ।
कैसे हुआ मैं तुझसे दूर,
जब भी पुकारू तू है आया,
भ्रम जाल से मुझे बचाया,
दिया है मुझकों अपनी साया।
कैसे हुआ मै तुझसे दूर,
तेरी ही धरती,तेरा है अम्बर,
इस जहाँ के सारे पैग़म्बर,
हुआ मैं जिससे तेरे करीब।
कैसे हुआ मैं तुझसे दूर,
तेरी है छाया,
मुझसे ना दूर,
हर पल रहता तू मेरे करीब।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।