कैसे रहें हम तेरे बिन
गीत-कैसे रहें हम तेरे बिन
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सूरज से प्यारी रोशनी,रोशनी से प्यारा है दिन।
दिन से भी प्यारे इक तुम हो,कैसे रहें हम तेरे बिन।।
फूलों से प्यारी है ख़ुशबू,ख़ुशबू से प्यारा है मधुबन।
मधुबन से प्यारे इक तुम हो,कैसे रहें हम तेरे बिन।।
अंतरा-1
मेरी रुह में बसके तूने,ख़ुशियों से दामन भर दिया।
इन होठों पे सजके तूने,जीवन को सरग़म कर दिया।
तेरा-मेरा मिलना ऐसा,तुम पारस हो मैं हूँ कुंदन।
कैसे रहें हम तेरे बिन—
अंतरा-2
पल-पल चाहत का ये दरिया,अब तो सागर बनता जाए।
तेरी बाँहों में आ सजना,मेरा यौवन खिलता जाए।
कैसे संभालू मैं खुद को,छेड़े है ये दीवानापन।
कैसे रहे हम तेरे बिन–
अंतरा-3
नैनों के आईने में तुम,रहते हो बसके यूँ प्रीतम।
बादल के दिल में ज्यों बिजली,है चमके हँसके चम-चम।
सपनों में भी ना टूटेगा,अपना प्यारा दिल का बंधन।
कैसे रहें हम तेरे बिन..
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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