Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2021 · 1 min read

कैसे मानूं रावण प्रतापी तुम??

कैसे मानूं रावण प्रतापी तुम,
छल कर लाएं तुम मुझे,
बना भेष ढोंगी का,
फिर भी कहते गर्व से,
मैं रावण कांपता धरा जिसके चलने से।।
लांघ ना सके लखन की रेखा,
करते बातें बड़ी-बड़ी,
अरे गिद्ध जटायु के एक वार से,
मुर्छित हो गए थे तुम,
एक पक्षी से जीत ना सके तुम,
अरे यह कैसी वीरता तुम्हारी?
कम ना हुआ गर्व तुम्हारा ,
आई अकल ना अब तक तुम्हें,
अरे अगर होते सच्चे वीर तो,
हर लाते मुझे मेरे पति के समक्ष।।
अरे छोड़ो तुम तो चोर भी ना सच्चे निकले,
हमारी चोरी करने में अपने ही साथी को मरवा डाला।।
एक नारी के खातिर रावण,
पुरा नगर सुढा कर डाला,
जला गया हनुमान तुम्हारी लंका को,
तुम मलते रह गए हाथ सिर्फ,
जो अपने ही नगर को ना बचा पाए,
ऐसे कैसे वीर हो तुम??
कोई कारण बताओ ,
जो मानलु रावण वीर तुम्हें।।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 365 Views

You may also like these posts

तालीम का मजहब
तालीम का मजहब
Nitin Kulkarni
🍁
🍁
Amulyaa Ratan
4038.💐 *पूर्णिका* 💐
4038.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ऐ चाँद
ऐ चाँद
Saraswati Bajpai
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गजल
गजल
जगदीश शर्मा सहज
प्रेम हैं अनन्त उनमें
प्रेम हैं अनन्त उनमें
The_dk_poetry
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रीतम के ख़ूबसूरत दोहे
प्रीतम के ख़ूबसूरत दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
लड़ी अवंती देश की खातिर
लड़ी अवंती देश की खातिर
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
धन्यवाद
धन्यवाद
Rambali Mishra
मेहनत और तनाव
मेहनत और तनाव
Dr MusafiR BaithA
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
यूं आज जो तुम्हें तारों पे बिठा दी गई है
यूं आज जो तुम्हें तारों पे बिठा दी गई है
Keshav kishor Kumar
लेखन
लेखन
Sanjay ' शून्य'
ज़मीन से जुड़े कलाकार
ज़मीन से जुड़े कलाकार
Chitra Bisht
शब्द की महिमा
शब्द की महिमा
ललकार भारद्वाज
इंसान हूं मैं आखिर ...
इंसान हूं मैं आखिर ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किरदार निभाना है
किरदार निभाना है
Surinder blackpen
*आत्म-मंथन*
*आत्म-मंथन*
Dr. Priya Gupta
"ज़ायज़ नहीं लगता"
ओसमणी साहू 'ओश'
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
..
..
*प्रणय*
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
sushil sarna
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
*जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)*
*जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)*
Ravi Prakash
"जरा सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
बेटा पढ़ाओ
बेटा पढ़ाओ
Deepali Kalra
Loading...