कैसे जिएं हम इश्क के मारे तेरे बिना
हमको अच्छे नहीं लगते हैं
ये सब नज़ारे तेरे बिना।
आसमान में कोई हलचल नहीं है,
कितने चुपचाप हैं चांद तारे तेरे बिना ।
कैसे बताएं कि क्या हाल था हमारा,
जब रात दिन हमने गुजारे तेरे बिना।
दुनिया ने बिछाई शतरंज की बिसात,
और हर बाजी हम हारे तेरे बिना।
भंवर में फंसी है अपनी कश्ती,
लगेगी कैसे ये पार किनारे तेरे बिना।
मेरे पास आकर जरा इतना बता दे,
कैसे जिएं हम इश्क के मारे तेरे बिना।