कैसे कह दूँ
कैसे कह दूं कि कोई दुष्परिणाम नहीं होता।
अनैतिक संबंधों का कोई भविष्य नहीं होता।।
मन के भी सभी भाव हो स्वीकारिए तुमको।
तन का ही क्षणिक सुख जीवन नहीं होता।।
ह्रदय से सम्बंधित अगर भाव न होता।
प्रेम दोष तो होता मगर रोग नहीं होता ।।
निर्मूल है तेरे मन की समस्त शाद आशंकाएं।
परिस्थितियों से लड़े बिना कोई दृढ़ नहीं होता।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद