कैसी
कैसी उल्फतों के जाल है
ताउम्र लगता है यही हाल है।
जिधर देखो उधर हुस्न के मेले है,
फिर भी खुश है कि हम अकेले है।
मैखानो पर भीड़ से ये पता चला है?
इस शहर का रूख किस तरफ बढ़ा है।
किसी का किसी से कोई लगाव नही है,
मतलबी जहां में लगता कोई बदलाव नही है।
हो जाए मुक्कमल जहां काश! कोई ऐसी दवा बता दे,
पर ये भी सच है ऐसी दवा का अब कोई न पता दे?