#कैसी सरकार चुनें?
कैसी हो सरकार?
अंदर से कच्ची ऊपर पक्की, क्यों दीवारें अच्छी लगती हैं?
देती फौक़ट में दाना-पैसा, क्यों सरकारें अच्छी लगती हैं?
पैसा तुम्हारा तुमको देकर, तुमपर ही हैं ये अहसान करें।
रौब जमाएँ ये ख़ूब नचाएँ, बन तानाशाह परेशान करें।।
जो वादे अब अच्छे लगते हैं, कैसे पूरे होंगे सोचा क्या?
बिन सोचे दौड़े यार गिरोगे, फिर हम ज़ख़्मी होंगे लोचा क्या?
लालच छोड़ो सच्चाई जोड़ो, विकास की विधियों को तुम समझो।
भेद भुलादो अब मन से मन का, जीवन की गतियों को तुम समझो।।
शिक्षा माँगों स्वास्थ्य पुकार करो, मज़बूती आएगी सब पढ़के।
अधिकारों को जानोगे अपने, आनंद मिलेगा ऊँचाई चढ़के।।
सरकारी विद्यालय अस्पताल, सुविधाओं से जब भर जाएंगे।
ग़रीब भी ताक़त बनके फिर तो, विकसित गतियाँ छूते जाएंगे।।
बिजली पानी की हर सुविधा हो, रोजग़ार की भी ना दुविधा हो।
ईमान बसे क़ानून रहे बस, दूर ग़रीबी की हर विपदा हो।।
सीधी सादी नीति चलेगी गर, लूट रहे न रहेगा कोई डर।
षडयंत्र गिरेंगे सब मुँह के बल, होगी जीवन संकट पार डगर।।
लालच देता है जनता को जो, वोटों की करे ख़रीदारी है।
जनसेवक का भेष बनाएँ पर, वो नेता होता व्यापारी है।।
समझो उसकी चालें ध्यान करो, असली नकली की पहचान करो।
वो क्या तुमपर अहसान करेगा, दे मत तुम उसपर अहसान करो।।
नेताओं लूटो मत जनता को, असली मुद्दों की तुम बात करो।
जो भी जनता का हाल सुधारें, ऐसे वादों की बरसात करो।।
अपना घर भरना अब छोड़ो तुम, इंसानियत भी रखो तन मन में।
भोले जन तुम पर विश्वास करें, ऐसी ख़ुशियाँ भरदो जीवन में।।
–आर.एस. प्रीतम
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