‘कैसी घबराहट’
खत फाड़ देने से दर्द तेरे कभी कम न होंगे,
डिपी ब्लॉक कर, पेज डिलीट कर गम कम न होंगे,
मैसेज ब्लॉक कर कुछ न होगा, हार्ट ब्लाक नहीं कर पाएगा, तेरी आँखों में तस्वीर जो तैरती है, क्या उसे डुबो पाएगा ?
वो समन्दर खोज न पाएगा। धड़कन बन तेरी रग-रग में सैर करती है जो, क्या उसको तू रोक पाएगा? नहीं ,कभी नहीं यह तू भी जानता है और वह भी। फिर इतने यत्न – प्रयत्न करके मिला क्या तुझे? सुकून तो कतई नहीं मिलता होगा , फिर दो बोल बोलने में तेरा साम्राज्य नहीं छिनने वाला है । किसी के घर
कोई छीनने ही नहीं पगले कुछ देने भी आता है। बेवजह घबराहट उचित नहीं।