कैलाश वासी-स्तुति
कैलाश वासी -स्तुति
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हे! शिव शंभू हे भोलेनाथ,
रक्षा करो प्रभु,सिर पर रखो हाथ।
विनती करूं मैं बारम्बार,
सुन लो मेरी पुकार।
में भजती तुमको सुबह शाम——-
पथ है पथरीला, कांटे भी बहुत है,
ऐसी राहों में चलना, मुश्किल है।
मुझको आकर के थामो ,हे। दीनानाथ,
सदा तुम देना प्रभु,मुझ बावरी का साथ
में तुमको चढ़ाती बैलपाती सुबह शाम——-
उर से में जपती, भोले नाम तुम्हारा,
मुझको आकर दे दो प्रभु सहारा ।
सुनो मुझ दुखियारी की पुकार,
मुझको करदो भवसागर से पार।
में तुमको दीप जलाती —
सुबह शाम——-
ओम नमः शिवाय का जाप करूं नित,
सुमिरन करती, ध्यान लगाती में
तुम्हरे चित।
कष्ट और पीड़ा हरके,करो मुझ पर उपकार ,
मानुष के दुःख हरने वाले,करो सकल
परोपकार ।
सुनो मुझ भक्तन की पुकार ,
में गंगा जल अर्पित करती
बारम्बार ———–
हे ! शिव शंभू हे भोलेनाथ——
सुषमा सिंह*उर्मि,,