Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2021 · 1 min read

के दर्शक आ के सब कवि? (हास्य कविता)

होइए खूब मैथिली कवि सम्मेलन
तै मे दर्शको स बेसी मंच पर बैसल कवि?
बूझबा मे ने आउत के दर्शक आ के सब कवि?
बानरक हेंज सन अफरजात भेल मैथिली कवि?

औ जी एतेक कहूं कवि भेलैए?
पुछियौ त उनटे मुँह दुसी देत,
छिना झपटी मंचे पर दौगा दौगी
किए मंचदौग्गा बनि गेल मैथिली कवि?

आयोजक सब बड़का पोस्टर छपाउत
चंदा देलक सेहो सब कवि?
दू चारि टा त दर्शको मे स मंच पर चढ़ल
बीच कार्यक्रम उहो सब बनि गेल कवि?

एतेक उपरौंजी आ मंचदौगीय
आन भाषाक समेमलन मे नै देखलियै?
मैथिली आयोजन मे कनिको ने करत लाज,
बूझबा मे ने आउत के दर्शक आ के सब कवि?

कारीगर कविता पढ़ब शुरू केने रहै की?
कनिये काल मे दर्शको मे स दू टा मंच चढल,
हमरा माला पहिरबैत कहलक जल्दी करू हमहू कवि?
आयोजक दिसी तकलहुँ? उहो गुम्हरल कि दर्शक आ कवि?

कवि©किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

Language: Maithili
1 Like · 1 Comment · 854 Views
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
अमृत वचन
अमृत वचन
Dp Gangwar
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
Manisha Manjari
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
Otteri Selvakumar
वाणी
वाणी
Shutisha Rajput
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
जज़्बात - ए बया (कविता)
जज़्बात - ए बया (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
..
..
*प्रणय*
प्राणों से प्यारा देश हमारा
प्राणों से प्यारा देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
एक बात!
एक बात!
Pradeep Shoree
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
देने वाले प्रभु श्री राम
देने वाले प्रभु श्री राम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*कबूतर (बाल कविता)*
*कबूतर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
Sonam Puneet Dubey
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
लिखता हूं खत हर रोज तेरे अफसाने पर।
लिखता हूं खत हर रोज तेरे अफसाने पर।
Rj Anand Prajapati
मुरली की धू न...
मुरली की धू न...
पं अंजू पांडेय अश्रु
तुम बेबाक बोलो, देश कर्णधार
तुम बेबाक बोलो, देश कर्णधार
डॉ. शिव लहरी
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवेदनशील हुए बिना
संवेदनशील हुए बिना
Shweta Soni
दोहे
दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
नाम बनाने के लिए कभी-कभी
नाम बनाने के लिए कभी-कभी
शेखर सिंह
जीवन से तम को दूर करो
जीवन से तम को दूर करो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
Chitra Bisht
मजदूर की करुणा
मजदूर की करुणा
उमा झा
मां
मां
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
3947.💐 *पूर्णिका* 💐
3947.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
Loading...