केशव
***केशव ***
सुन्दर छवि है चाॅद के जैसी
ऐसी जहाॅ में कोई ना देखी
देख जिसे हो सब जग मोहित
करे बखान विधाता खुद जिसकी
ऐसी छवि है श्याम सुन्दर की।
जहाँ से गुजरे मेरा श्याम
लगे दर्श करने सब प्राणी
छोड के अपने सारे काम ।।
केश सुनहरे अति मन भावे
मोर मुकुट जाकी शौभा बढावे
करे न्यौछावर प्राण सब उस पर
गोपी, ग्वाला धरती अम्मबर भी
ऐसी सुरतिया है मोहन की——
दिनेश कुमार गंगवार