कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी मम गृह आओ।
सकल कृपा प्रभुवर बरसाओ।।
उचित सोच पनपे जीवन में।
प्रेम भाव हो मेरे मन में।।
दया धर्म का रहे बसेरा।
कर्म पंथ हो उज्ज्वल मेरा।।
उचित ज्ञान प्रभुवर बरसाओ।
गलत पंथ से मुझे बचाओ।।
धन वैभव मम घर में आए।
भाव अहिंसा उर में छाए।।
धर्म नीति का डंका बाजे।
तमस सकल ही जग से भागे।।
सत्य प्रेम को ओम निभाए।
गीत भक्ति के निशदिन गाए।।
कृपा कृष्ण जी तुम बरसाना।
सकल सफलता आप दिलाना।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम