कृष्ण जन्माष्टमी
छन्द- जयकारी/चौपई
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द्वापर में कृष्णा अवतार।
था मथुरा का कारागार।।
कृष्णपक्ष अन्धेरी रात।
मास भाद्रपद की बरसात।।१।।
सोए सारे पहरेदार।
कटीं बेड़ियाॅं खुलते द्वार।।
माता उन्हें सुलायी सूप।
देखा जी भर अद्भुत रूप।।२।।
पिता पहुॅंच यमुना की धार।
हरि जपते करते सरि पार।।
शेषनाग फैलाए छत्र।
यमुना पुण्य हुए एकत्र।।३।।
लाल देख हर्षित हैं नन्द।
धन्य-धन्य प्रभु कृष्णा चन्द।।
बजे बधावा गोकुल गाॅंव।
यमलार्जुन की शीतल छाॅंव।।४।।
मात यशोमती देती दान।
गोपी गातीं सुमधुर गान।।
जय हो गोकुल जय हो ग्वाल।
सारा जग है आज निहाल। ।५।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**