कृपाण घनाक्षरी
1
करते गलत काम, जो सुबह और शाम, करने यहाँ वो नाम, करें बड़े बड़े दान
धन से बड़ा न बाप ,गरीबी यहाँ है पाप , हैं अमीर यदि आप, होती तभी पहचान
छूट जाएगा ये माल , आएगा जो तेरा काल , काट माया का ये जाल,सुन ले जरा इंसान
याद रख भगवान, छोड़ दे ये झूठी शान , पायेगा दिल मे स्थान, कर्म करके महान
2
बड़े ये महानगर, सोच न बड़ी मगर, जाम भरी है डगर, दिखे आदमी लाचार
भागता हुआ जीवन,चैन नहीं एक क्षण , डरे अपना ये मन, हो न जायें ये बीमार
मैं ये करते न हम, चाहें खुशी हो या गम , माने अपने नियम, अपने ही अनुसार
थके थके रहे तन , कर न पाते सहन,ये रिश्तों में अनबन, टूटें तभी परिवार
3
फूल खिले डाली डाली, कूके कोयलिया काली , घिरी घटा मतवाली,पड़ने लगी फुहार
प्रेमियों को दे सौगात,खुशी की हो शुरुआत,रिमझिम बरसात, बरसाए देखो प्यार
जिनके भी छोड़ देश, पिया गए परदेश, पढ़ उनका संदेश, बहे आँसुओं की धार
कहती नहीं मंजूर,तुमसे यूँ रहूँ दूर , पर आज मजबूर, विरह की पड़ी मार
18-07-2017
डॉ अर्चना गुप्ता