कुशल सारथि
कुशल सारथी सदा सुपथ पर ,रथ अश्वों का ले जाता ।
वैसे ही ये मन चालक इन्द्रियों को सही मार्ग दिखलाता।।
चित्त वृत्ति ही शुभ-अशुभ कर्मों की जननी कहलाती।
वृत्ति मनुज की शुद्ध रहे तो,सफल जीवन हो जाता।।
सुख- दुःख, निन्दा, हर्ष, स्तुति, द्वंद्व कहाते सब ही।
बचा नहीं कोई भी इनसे, तब मन सबका भरमाता।।
तम ,अज्ञान रास्ता रोकें, बढ़ी वासना वृत्ति निरंतर।
हिंसा मय आबद्ध प्रवृत्ति,तब मनुज राह नहीं पाता।।
हे प्रभु ! मन की डोर थाम कर,मुझे सुपथ पर लेकर चलना।
कुशल संचालक के हाथों में, मन कभी भटक नहीं पाता ।।
चंचल मन के अश्व लगे हैं ,तृष्णाओं के घट भरने में बस।
वृत्ति रूप रश्मियां मन की , कामनाओं हित भरमाता।।
आपदा -विपदा आए जब प्रभु जी,नमन आपको करते।
दिव्य दया आशीष मिले जब मीरा ,उत्सव तब हो जाता।।
मीरा परिहार 💐✍️