कुलषित कुंठाएं
चलता नही मन साथ कलम के ।
खाली रहे अब हाथ कलम के ।
सिकुड़ती रहीं कुलषित कुंठाएं ,
लिए बैठीं दाग माथ कलम के ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…
चलता नही मन साथ कलम के ।
खाली रहे अब हाथ कलम के ।
सिकुड़ती रहीं कुलषित कुंठाएं ,
लिए बैठीं दाग माथ कलम के ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…