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19 Jul 2019 · 1 min read

कुर्सियाँ

इंसान को सम्मान दिलाती है कुर्सियां ।
लेकिन कभी ईमान डिगाती हैं कुर्सियां ।

ये कुर्सियां रहती न किसी एक की होकर ,
जो बैठा है उसी हो जाती हैं कुर्सियां ।

कुर्सी अगर है पास तो करते सलाम लोग,
इंसान का क्या मोल बताती हैं कुर्सियां।

इनकी चकाचौंध लुभाती है लोगों को,
चमचों का साथ खूब दिलाती हैं कुर्सियां।

ये खेलती भी खेल हैं नित ‘अर्चना’ नये,
अपने ही पीछे खूब भगाती हैं कुर्सियां ।

19-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 539 Views
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