कुदरत का कहर
कुदरत का कहर
आपदा गहरी है
फट गये हिमखंड
बादल से
हादसा है इतना भीषण कि
सृष्टि का रखवाला
भगवान ही
अब तो
धरती के जन जन का
प्रहरी है
विपदा के बादल गहराते हैं तो
उन्हें छांटकर
जीवन में नये सवेरे का
उजाला भरना भी
उसी के हाथों में है
दुख देता है तो
दुख हरता भी वही है
संकट गहराता है तो
उसका सामना करने का साहस भी
देता वही है
इन नदी नालों में
जब भी उफान आता है
लोगों के दिलों में जब भी
तूफान आता है
जब जब गांव उजड़ते हैं
घर बहते हैं
बस्तियां तिनका तिनका बिखरती हैं
सब एक दूसरे से बिछड़ते हैं
भगवान ही फिर से
सब सामान्य करके
तन में स्थिरता
और मन में शांति
लाता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001