कुण्डलियाँ छंद
खून पसीना सींचकर, रहा अन्न
उपजाय
पोषण सबका कर रहा, रूखा
सूखा खाय
रूखा सूखा खाय, कि पीता
नयनम नीरम
नेता माल उड़ाय, रखें अब कब
तक धीरम
कहे भारती पुत्र, करो मत दूभर
जीना
जाओगे यमलोक, न चूसो खून
पसीना।।
पंकज शर्मा “परिंदा”
खून पसीना सींचकर, रहा अन्न
उपजाय
पोषण सबका कर रहा, रूखा
सूखा खाय
रूखा सूखा खाय, कि पीता
नयनम नीरम
नेता माल उड़ाय, रखें अब कब
तक धीरम
कहे भारती पुत्र, करो मत दूभर
जीना
जाओगे यमलोक, न चूसो खून
पसीना।।
पंकज शर्मा “परिंदा”