*कुछ शेष है अब भी*
कुछ है अब भी शेष बाकी
मगर गुमसुम सा,
उदास,हताश और निराश
मैने पूँछा,
मगर कुछ न बोला
सुनता रहा बस, सुनता रहा।
मैने फिर पूँछा
क्या कष्ट ,क्या दर्द, क्या वेदना है तेरी,
बड़े मंद स्वर में
कराहकर बोला,
मैं चलता नहीं चलाया जा रहा हूँ ,
मैं मानव नहीं रोबोट हो गया हूं।
विचारों का स्पंदन निस्तब्ध हो गया है,
शब्द प्रस्फुटन अब अवरुद्ध हो गया है,
कब ,कहां, कैसे,किससे
और कितना बोला जाए
इन्हीं विचारों में खुद ही उलझ गया हूं,
चलती फिरती दुनिया में मशीन बन गया हूं,
मानव हृदय नहीं अब रोबोट बन गया हूं।
हां मैं रोबोट बन गया हूं।।