कुछ मायने नही
चल अकेला अगर हमसफर नही
चलने का जज्बा ठहरने का नही
चार कदम हौसला होते हैं चालीस
रहबर मुस्कुराओ तिरछीनजर नही
रुको नही चलते रहो बनेगा कारवां
मंजिल मिलेगी और गर ये सही नही
मैदान भी जीतेगा घुड़सवार तो बन
दरख्त के मानिंद किनारे खड़े नही
चले तो जिंदगी रूके तो होगी मौत
वक्त उम्र माहौल कुछ मायने नही।
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर