कुछ भी नहीं है
मैंने पूछा क्या ग़लत है? ये भी सही है वो भी सही है।
ढूंढ कर लगा मुझे कि कुछ भी ग़लत नहीं है
मैंने पूछा क्या सही है? इसमें भी कमी है उसमे भी कमी है
ढूंढ कर लगा मुझे कि कुछ भी सही नहीं है
मैंने पूछा किस बात का दुख? ये भी ठीक है वो भी ठीक है
ढूंढ कर लगा मुझे कि किसी बात का गम नहीं है
मैंने पूछा ईश कौन? ये भी लौकिक वो भी लौकिक
ढूंढ कर लगा मुझे कि कोई भी ईश्वर नहीं है
सारी जिज्ञासा का जवाब मेरे सवालों में ही बंद था
जिसपे भी मैंने सवाल उठाया पता चला वो ही नहीं है