कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा
कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा
बदल गया तू अब वैसा नही रहा
जरूरत थी सामने बाजार भी था
मजबूर था जेब मे पैसा नही रहा
वो चला गया तो लोगों ने ये कहा
मिले तो बहुत मगर ऐसा नही रहा
‘विनीत’ याद रहा बस तेरा सुरूर
और भूल गया क्या कैसा नही रहा
-देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”