कुछ भी तो इस जहाँ में
सत्य और असत्य का अन्तर नहीं रहा।
ईश्वर में आस्था का भी प्रश्न नहीं रहा।।
कुछ भी तो इस जहाँ में स्थिर नहीं रहा।
तू-तू, मैं-मैं के बीच में अब हम नहीं रहा।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
सत्य और असत्य का अन्तर नहीं रहा।
ईश्वर में आस्था का भी प्रश्न नहीं रहा।।
कुछ भी तो इस जहाँ में स्थिर नहीं रहा।
तू-तू, मैं-मैं के बीच में अब हम नहीं रहा।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद