कुछ पल का बचपन
जीवन की इस भागदौड़ से,
कुछ पल को बचपन में जायें।
मेरे प्यारे बड़े साथियो,
आओ मिलकर शोर मचायें।
जीवन की इस भागदौड़ से…।
चाहे टकलू, चाहे तोंदू,
जो भी हो, सब चल जायेगा।
रोज़ शरारत का वह सपना,
फिर नैनो में पल जायेगा ।
तू-तू, मैं-मैं परे हटा कर,
सबके ही मन को हर्षायें ।
जीवन की इस भागदौड़ से,
कुछ पल को बचपन में जायें।
प्रीत लुटातीं दादी-नानी,
अब तो केवल एक कहानी ।
नया दौर है फिर भी देखो,
बीती बातें बड़ी सुहानी ।
आने वाले कल से मिलकर,
गीत प्रेम के सुनें-सुनायें ।
जीवन की इस भागदौड़ से,
कुछ पल को बचपन में जायें ।
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– राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद (उ० प्र०)
मो० 8941912642