कुछ परिभाषाएँ…!
कसम
—-
बातों की श्रंखला में
विश्वास की चेष्टा
और झूँठ की पराकाष्ठा को
‘कसम’ कहते हैं ।
कदम
—-
समीप से सुदूर तक
सुदूर से समीप तक
जाने और आने के माप को
‘कदम’ कहते हैं ।
करम
—-
कल और कल के
मध्य में भटकते
आज के भूत और भविष्य को
‘करम’ कहते हैं ।
कलम
—-
अंकित कर लेती जो
बहकते विचारों को
उस भोजपत्र की प्रेमिका को
‘कलम कहते हैं ।
—-
– महेश जैन ‘ज्योति ‘