कुछ न कुछ तो मिल जायेगा
कुछ न कुछ तो मिल जायेगा,
हम प्रयास जो कर लें थोड़ा।
आम कंहा से तुम खाओगे,
जो तुमने उसको न तोडा।
पैदा होकर खड़ा हुआ वो,
फिर हर दिन चलता थोड़ा थोड़ा।
महीने भर में तुम पाओगे,
सरपट दौड़ रहा है घोडा।
कुछ न कुछ तो मिल जायेगा,
हम प्रयास जो कर ले थोड़ा।
बूंद बूंद से गागर भरता,
पर वो बूंद तो लाना होगा।
नहीं है गागर भरने को तो,
पहले उसे बनाना होगा।
कछुए सा ही चलो मगर,
पर हर पल आगे बढ़ना होगा।
मुश्किल छोटी हो या बड़ी,
उनसे तुमको लड़ना होगा।
कुछ भी नहीं असंभव समझो,
ये भ्रमपाश जिसने है तोडा।
हंस कर फिर वो पार करेगा,
अपने रस्ते का हर रोड़ा।
कुछ न कुछ तो मिल जायेगा,
हम प्रयास जो कर ले थोड़ा।