Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 1 min read

कुछ नहीं

ना-रसा बेमज़ा हम-ज़बाँ कुछ नहीं
जाम है शाम है माजरा कुछ नहीं

बेसबब बेबसी नाज़ में किस लिए
आबरू मुश्कबू ओ कजा कुछ नहीं

आरज़ी रास्त का कूकरम हर तरफ
ख़ैर ये सच खुदा वाकिया कुछ नहीं

आब है जान हर नीमजाँ आह की
छोड़ वो नस्तरन पूछना कुछ नहीं

दीदनी रोज गुलफ़ाम रु पर कुनू
आरज़ू अंजुमन से नफ़ा कुछ नहीं

51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बड़ी सुहानी सी लगे,
बड़ी सुहानी सी लगे,
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
**कब से बंद पड़ी है गली दुकान की**
**कब से बंद पड़ी है गली दुकान की**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
श्याम दिलबर बना जब से
श्याम दिलबर बना जब से
Khaimsingh Saini
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
Sanjay ' शून्य'
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
Ajit Kumar "Karn"
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
Bhupendra Rawat
हमें कहता है अन्तर्मन हमारा
हमें कहता है अन्तर्मन हमारा
Nazir Nazar
ज़िंदगी तेरी किताब में
ज़िंदगी तेरी किताब में
Dr fauzia Naseem shad
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विद्यालयीय पठन पाठन समाप्त होने के बाद जीवन में बहुत चुनौतिय
विद्यालयीय पठन पाठन समाप्त होने के बाद जीवन में बहुत चुनौतिय
पूर्वार्थ
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
सत्य कुमार प्रेमी
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
टूटते सितारे से
टूटते सितारे से
हिमांशु Kulshrestha
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
"यादें और मैं"
Neeraj kumar Soni
आईना
आईना
Sûrëkhâ
*** मैं प्यासा हूँ ***
*** मैं प्यासा हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तुम याद आये !
तुम याद आये !
Ramswaroop Dinkar
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
"जीत की कीमत"
Dr. Kishan tandon kranti
उसकी मर्जी
उसकी मर्जी
Satish Srijan
पतझड़
पतझड़
ओसमणी साहू 'ओश'
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
*सुनते हैं नेता-अफसर, अब साँठगाँठ से खाते हैं 【हिंदी गजल/गीत
*सुनते हैं नेता-अफसर, अब साँठगाँठ से खाते हैं 【हिंदी गजल/गीत
Ravi Prakash
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*प्रणय प्रभात*
कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...