कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
बह जाएगा सब समय की धारा में
रह जाएगा एक पछतावा, एक धुंँधली स्मृति!
हमारे बीच
अब केवल
कुछ शब्द बचे हैं
जर्जर असहाय बेबस अर्थविहीन
मिट जायेंगे ये प्रतीक
ढह जाएगी वह हर इमारत
जिस पर बसेरा है
किसी अनगढ़ चिरैया का!
-आकाश अगम