कुछ दिल की तुम कहो
कुछ दिल की तुम कहो
कुछ दिल की मैं भी कहूं
कुछ तुम मुझे पहचानों
कुछ मैं भी तुम्हें जानूं
कुछ पीड़ा मेरी तुम हरो
कुछ पीडा मैं तुम्हामरी हरुं
कुछ खुशी तुम दे पाओ
कुछ खुशी मैं तुम्हेम दे पाऊं
कुछ नजदीक तुम आओ
कुछ नजदीक मैं भी आऊं
उन बीते दु:खों का दफन करें
अपनी खुशियों की पौध लगाएं
इन कुछ पलों को मिलकर जिएं
मैं और तुम मिलकर इसे ताउम्र बनाएं
लक्ष्मण सिंह