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13 Jan 2018 · 1 min read

कुछ दिल की तुम कहो

कुछ दिल की तुम कहो
कुछ दिल की मैं भी कहूं
कुछ तुम मुझे पहचानों
कुछ मैं भी तुम्हें जानूं
कुछ पीड़ा मेरी तुम हरो
कुछ पीडा मैं तुम्हामरी हरुं
कुछ खुशी तुम दे पाओ
कुछ खुशी मैं तुम्हेम दे पाऊं
कुछ नजदीक तुम आओ
कुछ नजदीक मैं भी आऊं
उन बीते दु:खों का दफन करें
अपनी खुशियों की पौध लगाएं
इन कुछ पलों को मिलकर जिएं
मैं और तुम मिलकर इसे ताउम्र बनाएं

लक्ष्‍मण सिंह

Language: Hindi
428 Views
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