कुछ तो कमी सी है ….
कुछ तो कमी सी है ….
क्यू लगे रुखा सा कुछ तो कमी सी है !
जिंदगी में तेरे बिन, कोई कमी सी है !!
नीरस मन शुष्क तन, सूरत हुई बंजर
फिर भी अधरों पे ढली कुछ नमी सी है !!
थकावट से चूर हूँ पर अभी मैं थका नही
तन में साँसे अभी जरा जरा थमी सी है !!
लहू का दौर कुछ कमतर नजर आता है
कड़क तन में नब्ज लगती अब जमी सी है !!
शोभा तो तुम ही हो इस अहले चमन की
बिन तेरे गुलशन में उदासी लगे रमी सी है !!
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डी. के, निवातियाँ __________@