कुछ चिंतन मनन करो
ना तुम कुरान की मानते हो ,
ना ही भागवत गीता की सुनते हो ।
अपनी सुविधा अनुसार जो ठीक लगे ,
वही कार्य तुम करते हो ।
अरे ! एक बार ध्यान से पढ़ो तो सही ,
कुछ चिंतन मनन करो ,
फिर अपने जमीर को तौलो,
फिर सोचो,इसमें लिखा है क्या ,
और तुम करते क्या हो ।
हिंसा ,बैर ,नफरत और कपट ,
इनके शब्द कोश में लिखा ही नहीं ।
प्यार ,भाईचारा ,दया करुणा और ईमानदारी ,
का संदेश देती है दोनो पवित्र पुस्तकें ,
और तुम सदा इसके खिलाफ चलते हो ।
फिर न जाने क्यों खुद को अल्लाह का प्यारा,
और ईश्वर का दुलारा कैसे कहते हो !