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3 Feb 2021 · 1 min read

कुछ ख़त मुहब्बत के

ग़ज़ल

जिस पे तेरा करम यार है।
फिर कहाँ उस को ग़म यार है।

हर घङी तू ने हर हाल में।
मेरा रक्खा भरम यार है।

मंजिले-इश्क़ में राहबर।
तेरा नक़्शे क़दम यार है।

शोहरतेंजो हैं हासिल मुझे।
‘सब ये तेरा करम यार है।’

पी के अमृत नज़र से तिरी।
बेअसर मुझ पे सम यार है।

कैसे तेरा क़सीदा लिखूँ।
मेरा आजिज़ क़लम यार है।

तेरी चौखट का जो है गदा।
वो गदा मोहतरम यार है।

नाम लब पर है जब से तिरा।
दूर हर एक ग़म यार है।

ज़ाकिरों में है तेरे,क़मर।
ये करम कोई कम यार है।

जावेद क़मर फ़िरोज़ाबादी

11 Likes · 54 Comments · 459 Views
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