कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
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गज़ल- 17
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
कुछ हल्की कुछ गहरी बातें।1
बातें तो बातें होती हैं,
कुछ सच्ची कुछ झूठी बातें।2
आपस में मिलकर करते हैं,
कुछ सोची कुछ समझी बातें।3
बातों के भी स्वाद निराले,
खट्टी-मीठी, कड़वी बातें।4
सुनते सुनते पक जाते हैं,
कुछ सुलझी अनसुलझी बातें।5
कल फिर मुझको याद आयीं थी,
मेरी और तुम्हारी बातें।6
अक्सर ‘प्रेमी’ करते रहते,
छुपकर प्यारी प्यारी बातें।7
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी