“कुछ अधूरे सपने”
शीर्षक: “कुछ अधूरे सपने”
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कुछ अधूरे सपने पूरे करणे सैं,
मंजिल बेरंगी सी रंग भरणे सैं।
सच्ची नीयत, इरादे नेक,
आलसपन के पंख कुतरने सैं।
कुछ अधूरे सपने पुरे करने सैं…
ये सपने सपने नहीं,
जिंदगी का मुकाम सैं।
जै चूक गए हासिल करण तै,
लग्न, हौंसला, कला सब गुमनाम सै ||
शोर बी भावै, नजारा सुहावै,
हसीन ख्वाबों के झरने हैं।
कुछ अधूरे सपने पुरे करने सैं…
बख्त आवैगा बख्त पै ही,
तो- उपरला भी साथ देगा।
चापलूस तो बस चमची मारैगा,
खुसर- फुसर, चटकारे, हुंकारे भरने सैं।
मकसद नेक सै,
मंजिल मिलैगी जरूर,
“सुनील सैनी” जिन्दगी की माला म्ह,
सुकून के मोती जड़ने सैं।
कुछ अधूरे सपने पूरे करने सैं……..
-सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द(हरियाणा)-१२६१०२.