कुछ अदा फरिश्तो की आदमी में होती हैं
हसरतों की दास्ता याँ शायरी में होती है
कुछ अदा फरिश्तो की आदमी में होती हैं
देखे हैं कहाँ तुुमने चाहते दिवानो के
दिल हथेली पे रखना आशिकी मे होती है
सोचता रहा मै तो हाल बेजुबाँ होकर
बात समझना आसाँ तो खामुशी में होती है
तोहमत रुबा जो हो बेवजह मुहब्बत में
होठो में हँसी भी तो बेबसी मे होती है
देखना इनायत होगी वहाँ बहारो की
बेखुदी जहाँ यारो मयकशी में होती है।