कुचक्र
वो सब हथियारों की भाषा जानते हैं,
छद्म से शांति की आवाज़ की उड़ाते हैं धज्जियाँ।
उन्होंने अपने दिलों को
तेज़ाब में गलाकर,
उसपर चढ़ा लिया है कड़ा आवरण,
ताकि कोई दस्तक भी दे
तो उनतक न पहुँचे।
ये किसी के भी नहीं,
यहाँ तक कि अपने आप के भी नहीं।
ये उस ख़ुदा के बन्दे तो कभी नहीं हो सकते।
मुझे कभी-कभी लगता है,
ये सारी लड़ाई
ख़ुदा और शैतान के बीच चल रही है।
लेकिन इस लड़ाई में हर बार
इंसान ही मारे जाते हैं।
तो क्या अब ऐसा ही करते रहोगे
कब तक लाशों का व्यापार सहोगे
धैर्य का बांध टूट गया
माँ के सपूतों का दिल दहल गया
हम लगे रहे एक दूसरे को नीचा दिखाने में
चुनाव की तैयारी को शानदार बनाने में
हम अपनों से ही लड़ते रहे
वे अपना काम
रोज करते रहे
माताओं की हुई सूनी गोद
किसे नहीँ आयेगा क्रोध
मांगों का सिंदूर पुछा
किसी को कोई असर हुआ
हमारी जानें तो बहुत सस्ती हैं
इधर जेड सुरक्षा में बड़ी हस्ती हैं
इन्हें तो चूडियां भी नहीं पहना सकते
चूड़ियों वाले हाथ तो कमाल ढा रहे है
बड़े से बड़े काम करके दिखा रहे हैं।
इनके लिए तो सत्ता ,सुंदरी औऱ सुरा