कुकृत्य सुकृत्य
चिल्लाने से कब भला, होइ कुकृत्य सुकृत्य।
सत्य सत्य रहता सदा, रहे असत्य असत्य।
रहे असत्य असत्य, दबदबा काम न आए।
सत्य करे जब नृत्य, डुगडुगी न्याय बजाए।
कह संजय कविराय, लाभ क्या झल्लाने से।
भेद छिपा रहि जाय, भला क्या चिल्लाने से।
संजय नारायण