*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)
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कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ
सदा सुरक्षा में रहा, इसका गहरा हाथ
इसका गहरा हाथ, लोग कुंडी खटकाते
कुंडी करके बंद, चैन से सब सो जाते
कहते रवि कविराय, आज कोई कुछ कह ले
पहले के सब द्वार, जब बने कुंडी पहले
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कुंडी : लोहे के आमतौर पर तीन कुंडों (छल्लों) को आपस में फॅंसा कर बनने वाला सुरक्षा उपकरण
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451