कुंडली का सांप
छिड़ी है जंग अब
हाथ की रेखाओं से
मजबूत हैं इरादे अब
डर लगता नही हार जाने से ।
गुजर जाना है अब
कांटो भरे रास्तों से
हंसते हुए बढ़ना है अब
परवाह नही गमो के सायों से ।
मेहनत की छड़ी साथ है अब
संभल जायेंगे फिसल जाने से
दिखने लगी है अब
कुछ बदलती दिशायें दूर से ।
कुंडली का सांप अब
भागने लगा है मुकद्दर से
राह का हर रोड़ा अब
मिट्टी हो गया है पत्थर से ।।
राज विग 22.11.2018.