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29 Jun 2024 · 1 min read

कुंडलिया. . .

कुंडलिया. . .
ममता माँ की जानती, कैसा उसका लाल ।
वो रोया तो हो गए , गीले माँ के गाल ।
गीले माँ के गाल , रात भर नींद न आई ।
अपने दिल की पीर, मातु ने खूब छुपाई ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, दर्द माँ का कब छुपता ।
छलकी आखिर आँख , साथ में छलकी ममता ।

सुशील सरना / 29-6-24

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