कुंडलिया
लिखता बुलबुल की चहक , लिखता कोयल कूक ।
लिखता पायल की झनक , लिखता पीड़ा मूक ।।
लिखता पीड़ा मूक , लेखनी धर्म निभाता ।
लिखूँ समय की चाह , नहीं निष्ठुर रह पाता ।।
लिखूँ श्रमिक की बात , कृषक जो भी कुछ सहता।
आस पास की बात , सभी कुछ सच सच लिखता।।
सतीश पाण्डेय