कुंडलिया – वर्षा
कुंडलिया – वर्षा
बरसे मेघा झूम कर, शीतल पड़ी फुहार ।
हर्षित हर मन हो गया, भीगी चली बयार ।
भीगी चली बयार, प्यार की होंगी बातें ।
बोलेगा अब मौन , कटेंगी प्यारी रातें ।
ऐसी मस्त फुहार, भला फिर दिल क्यों तरसे ।
क्या जानें ये मेघ , धरा पर फिर कब बरसे ।
सुशील सरना / 21-6-24