कुंडलिया छंद
भिक्षा दर- दर माँगते ,नाम रखा है भूप।
प्यारे सुन्दर लाल जी,दिखते बड़े कुरूप।
दिखते बड़े कुरूप,लगाते फेयर लवली।
पर देखो दुर्भाग्य,न उनकी सूरत बदली।
देख नित्य दृष्टांत,यही मिलती है शिक्षा।
नृप भूपति है नाम,रंक सम माँगें भिक्षा।।1
प्यारा नाम नरेन्द्र है ,पर हैं चौकीदार।
अपने भारत देश से ,वे करते हैं प्यार।
वे करते हैं प्यार,तरक्की जिनको भाती।
हुए विरोधी पस्त,उन्हें अब नींद न आती।
पाता रहा जवाब, पड़ोसी सदा करारा।
शानदार व्यक्तित्व,सभी को लगता प्यारा।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय