कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
बनकर मत रहना कभी,कोई सूखी डाल।
जीवन में नमनीयता,करती बड़ा कमाल।।
करती बड़ा कमाल ,राय सब यह ही देते।
विनयी शांत स्वभाव ,लोग जो बनें चहेते।
टूटे वह ही पेड़ ,खड़ा जो होता तनकर।
सदा उठाते हानि ,लोग हठधर्मी बनकर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय