कुंडलियां
लिखने वाले क्यों पढ़ें, कोई तेरा गीत।
जब कवियों की बज्म में, सबका निज संगीत
सबका निज संगीत, अजब है पाठक माया
कर देते हैं वाह, देखकर कंचन काया
कहे सूर्य कविराय, न बिकते आज रिसाले
पाठक घटते जाय, बढ़े अब लिखने वाले।।
सूर्यकांत
लिखने वाले क्यों पढ़ें, कोई तेरा गीत।
जब कवियों की बज्म में, सबका निज संगीत
सबका निज संगीत, अजब है पाठक माया
कर देते हैं वाह, देखकर कंचन काया
कहे सूर्य कविराय, न बिकते आज रिसाले
पाठक घटते जाय, बढ़े अब लिखने वाले।।
सूर्यकांत