कुंडलियां सावन
********** कुंडलियां **********
1
सावन महीना आया,बादल छाये घोर
नभ में बीजुरी चमके ,बरसेंगे पुर जोर
बरसेंगें पुर जोर,लग जाएगी फिर झड़ी
ढूंढें चारो ओर ,नजरें जिससे हैं लड़ी
बदन में लगे आग,छिड़ी मन में है तान
मनवा है व्याकुल ,आतुरता भरा सावन
2
बैरी मन बावरा, पिया गया परदेश
चित घना है उतावला आएंगे निज देश
आएंगे निज देश,तनबदन में आग लगी
बन बैठे हैं दरवेश, किसकी नजरें लगी
शीतल बूँदें बरसात , चोट दे बहुतेरी
मिलेगी प्रेम सौगात , दर्श देंगे बैरी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)