कुंडलियाँ –2
1–100-सपना
सारा दर्द खींच रचा ,कविता का संसार
सपना पूरा कब हुआ,ली थी कलम उधार
ली थी कलम उधार,आज करती हूँ वापिस
रहना खुश दिलदार,घाव मेरे हैं शापित।
सपना मत अब देख ,टूटता दिल बेचारा ।
यह कविता संसार ,निचोड़ता दर्द सारा।।
2–पूरा
हर्षित होकर जब करो,होता पूरा काम।
निजमन को आनंद हो, मिलता प्रभु का धाम।।
मिलता प्रभु का धाम,इरादे हैं फौलादी ।
जीवन ढलती शाम,बात है बेबुनियादी ।।
क्यों हो रही उदास,आस टूटी क्या कुंठित ।
दिन भी दिये गुजार,लिखो कुंडलियाँ हर्षित।।
3—थोड़ा
देकर थोड़ी सी खुशी,बाँटो थोड़ा प्यार ।
दीन दुखी निर्बल सभी, चाहें खुशियाँ यार ।।
चाहें खुशियाँ यार, बने हर घर ज्यों काशी ।
मिले सभी को प्यार , दूर हो जाय उदासी ।।
पाखी मन की बात,लिखे कागज को लेकर ।
चुका रही है दाम, सभी को दुलार देकर।।
4–चंदन.
चंदन का है पालना ,रेशम लागी डोर ।
सोता मेरा लाल है ,मत करना तुम शोर ।।
मत करना तुम शोर, गीत गाती हैं सखियाँ ।
जगा रहीं हैं लाल, बना के मीठी बतियाँ ।।
कहे मनोरम बात ,लाल करती पग चुंबन ।
महके आँगन आज, लगा है घिसने चंदन।
5–जीता
धारण कर वैराग्य को, जीता सब संसार ।
गौतम बन जग को तजा,यशोधरा लाचार ।।
यशोधरा लाचार, पूत को उसने पाला।
तजकर भोग विलास , गही वैजंतीमाला।।
पाखी हृदय कठोर, किया पति का जब पारण।
बहती आँसू धार , किया संन्यास सुधारण।।
6–हारा
हारा दिल मैं तो यहाँ, उसने दिया गुलाब ।
मोहक छवि प्रियतम दिखी, सभा मध्य में आब।।
सभा मध्य में आब , देख कर सजन लजाती ।
भूली बिसरी याद, पिया की भी ले आती ।।
पाखी को अफ़सोस, बसा कर दिल में मारा ।
छीना मन का चैन ,जीत कर भी था हारा।।
7–नटखट
नटखट नंद किशोर है, माखन मुरलीचोर ।
छाछ शीश मटकी धरी, चल देती हैं भोर
चल देती हैं भोर ,नाच नचवाता लाला ।
देता मटकी फोड़, ताल दे हँसते ग्वाला ।।
टोली आती देख ,भागते अटपट झटपट ।
पाखी सरल स्वभाव,सभी क्यों कहते नटखट।।
8–साहस
साहस जिसका नाम है , ताकत कह लो आप।
आता सद्-बर्ताव से , लेता नभ को नाप।।
लेता नभ को नाप ,काम सब ही हो जाते।
लेते जग को जीत,भाव ये सबको भाते।।
पाखी हृदय निवास,बना कर रहता तापस।
रख मन दृढ़ विश्वास, कभी मत छोड़ो साहस।।
पाखी